Thursday 22 November 2012

इन्द्रधनुष



बारिश के कच्चे रास्तों सी
फिसलन भरी, 
प्रतिक्षण गिर जाने का भय
कीचड़ से सनी सोच, लथपथ
और फिर हुई बारिश
धुआंधार
तुम्हारे प्रेम की बारिश में
नहा गया मैं
और साथ ही सारा परिवेश
मेरे इर्द गिर्द ,
अब सबकुछ साफ़ है
सुन्दर, इन्द्रधनुष  की तरह. 
#neeraj_kumar_neer
        नीरज कुमार 'नीर'

#Hindi_poem #hindi_kavita



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