Wednesday 6 March 2013

आसमां रंग बदलता है

आसमां रंग बदलता है,
नीला, धूसर कभी फक सफ़ेद.
मानो गुजरता  है
हर्ष, दुःख और भय की
विभिन्न मनस्थितियों से.

कभी आग बरसाता है ,
कभी चाँद तारे सजाता,
कभी जार जार रोता,
धार धार आंसू बहाता.

लेकिन आसमां तनहा नहीं होता,
उसके संग होते है,
समुंदर, नदियाँ, जमीन
सब रंग बदलते है , उसके साथ
जलते हैं, भींगते हैं, झूमते है.
रंग जाते हैं उसके ही रंग में.

मेरे मन का आसमान भी
रंग बदलता है
लेकिन होता है तन्हा, बिलकुल तन्हा.

............ नीरज कुमार नीर
#neeraj_kumar_neer
 क्या आपके साथ भी ऐसा कभी होता है?

32 comments:

  1. सुन्दर कृति. मन का आसमान तो अकेला ही रहता है. उसे सपने भी देखने होते हैं उसे पाने के लिए सतत श्रम भी और यह अकेले ही करना होता है.

    ReplyDelete
  2. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार-

    ReplyDelete
  3. बहुत खूबसूरत रचना मुझे बहुत पसंद आई :-) mere man ka aasman bhi rang badalta h lekin hai tanha tanha :-)
    मेरी नई कविता पर आपकी प्रतिक्रिया चाहती हूँ Os ki boond: सिरफिरा फूल ...

    ReplyDelete
  4. achha laga aapko padhna

    shubhkamnayen

    ReplyDelete
  5. बहुत खूबसूरती से आपने मन के आसमां का अकेलापन छलकाया है ...वाह


    ReplyDelete
  6. mja aaya ........pdne me MERE MN KA ASMAAN BHI RANG BDLTA H....

    ReplyDelete
  7. उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत शुक्रिया जनाब प्रसन्न वदन चतुर्वेदी जी.

      Delete
  8. bahut sundar aur marmik abhiwakti neeraj jee kya pta aaasman bhi tanha ho ...par hamen nahi lagta ...

    ReplyDelete
  9. सुन्दर रचना नीरज जी..

    ReplyDelete
  10. प्रकृति के रंग हमारे जीवन के रंग जैसे ही हैं ...
    सुन्दर प्रस्तुति
    साभार !

    ReplyDelete
  11. बहुत आभार शिवनाथ कुमार जी.

    ReplyDelete
  12. शुक्रिया . आपको भी महाशिवरात्रि की बहुत शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  13. सुन्दर प्रस्तुति... बधाई

    ReplyDelete
  14. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,
    भीड़ में भी अक्सर हम अकेले
    होते हैं ..........

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत शुक्रिया अदिति जी

      Delete
  15. अति सुन्दर ...

    ReplyDelete
  16. बहुत बहुत खूबसूरत-

    ReplyDelete
  17. लेकिन आसमां तनहा नहीं होता,
    उसके संग होते है,
    समुंदर, नदियाँ, जमीन
    सब रंग बदलते है , उसके साथ
    जलते हैं, भींगते हैं, झूमते है.
    रंग जाते हैं उसके ही रंग में.
    ​बहुत खूबसूरत शब्द नीरज जी

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...