Saturday 18 February 2012

प्रेम



प्रेम
प्रेम नगर का वासी हूँ,
प्रेम है मेरा काम .
दोनों हाथ लुटाइये ,
प्रेम बहे अविराम .
प्रेम रस ही पीजिए,
प्रेम का कीजिये गान.
प्रेम धन घटे नहीं,
प्रेम है काम महान .
राम रहीम के फेर में ,
पडा हुआ संसार.
सत कौड़ी दूर की,
प्रेम जगत का सार .
प्रेम वृक्ष लगे नहीं,
प्रेम ना बिके बाजार .
प्रेम धन अमूल्य है,
जाने सो करे विचार.
      “नीरज’’

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